Sunday, December 30, 2012


गृह मंत्री :- मेरी भी तीन बेटिया है|
प्रधानमंत्री: मेरी भी तीन बेटिया है|
पहला सवाल क्या आपकी बेटिया डी टी सी की बसों में चढ़ती हैं
नहीं प्रधानमंत्री जी, नहीं गृह मंत्री जी आपकी बेटिया हौंडा सिटी गाड़ियों "जेड ग्रेड" सेक्युरिटी कवर में जाती हैं |
दूसरा क्या अगर आपकी बेटियों के साथ ये हुआ होता तो भी क्या आप टी वी पर ऐसे ही और इतनी ही आसानी से इंटरव्यू दे रहे होते|
नहीं अगर महात्मा गाँधी की हत्या होती है तो हजारो ब्राह्मणों को मार दिया गया, इंदिरा जी मरी तो हजारो सिख मारे गए...
लेकिन दामिनी कौन है, अरे उसके मरने से क्या फर्क पड़ता है...!!! — with जिया शर्मा विद्रोही प्रथम
मीनाक्षी मारवाङी के कुछ हास्य दोहे -

१. पूर्ण सफलता के लिये, दो चीजें रखे याद | 
मंत्री की चमचागीरी, पुलिस का आशिर्वाद ||

२. कर्जा देता मित्र को, वो मूरख कहलाये |
महामूर्ख वो मित्र है, जो पैसा लौटाये ||

३. बिना जुर्म के पिटेगा, समझाया था तोये |
पंगा ले कर पुलिस से, साबुत बचा ना कोये ||

४. बुरे समय को देख कर, गंजे तू क्यों रोये |
किसी भी हालत में तेरा, बाल ना बांका होये ||

५. दोहों को स्वीकारिये, या दीजै ठुकराये |
जैसे मुझसे बन पड़े, वैसे दिये बनाये ||

@ मीनाक्षी मारवाङी


मोमबत्ती जलाओ ..

भ्रष्टाचार मिटाओ,, काला धन वापस लाओ....बलात्कार­ियों को फांसी दिलाओ ..जन लोकपाल बिल लाओ

ठीक है भाई.. मोमबत्ती भी जला कर देख लो .... कुछ हो जाए तो हमें सूचित अवश्य कर देना

द्रोपदी शस्त्र उठा लो, अब गोविंद ना आयंगे

छोडो मेहँदी खडक संभालो
खुद ही अपना चीर बचा लो
द्यूत बिछाये बैठे शकुनि,
मस्तक सब बिक जायेंगे
सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो, अब गोविंद ना आयेंगे |

कब तक आस लगाओगी तुम, बिक़े हुए अखबारों से,
कैसी रक्षा मांग रही हो दुशासन दरबारों से
स्वयं जो लज्जा हीन पड़े हैं
वे क्या लाज बचायेंगे
सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो अब गोविंद ना आयेंगे |

कल तक केवल अँधा राजा,अब गूंगा बहरा भी है
होठ सील दिए हैं जनता के, कानों पर पहरा भी है
तुम ही कहो ये अश्रु तुम्हारे,
किसको क्या समझायेंगे?
सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो, अब गोविंद ना आयेंगे |
अब समय आ गया है हिंदुस्तान का
और हम सब का भविष्य बदलने का ....
मोमबत्ती जलाओ ..

भ्रष्टाचार मिटाओ,, काला धन वापस लाओ....बलात्कार­ियों को फांसी दिलाओ ..जन लोकपाल बिल लाओ 

ठीक है भाई.. मोमबत्ती भी जला कर देख लो .... कुछ हो जाए तो हमें सूचित अवश्य कर देना

द्रोपदी शस्त्र उठा लो, अब गोविंद ना आयंगे

छोडो मेहँदी खडक संभालो
खुद ही अपना चीर बचा लो
द्यूत बिछाये बैठे शकुनि,
मस्तक सब बिक जायेंगे
सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो, अब गोविंद ना आयेंगे |

कब तक आस लगाओगी तुम, बिक़े हुए अखबारों से,
कैसी रक्षा मांग रही हो दुशासन दरबारों से
स्वयं जो लज्जा हीन पड़े हैं
वे क्या लाज बचायेंगे
सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो अब गोविंद ना आयेंगे |

कल तक केवल अँधा राजा,अब गूंगा बहरा भी है 
होठ सील दिए हैं जनता के, कानों पर पहरा भी है
तुम ही कहो ये अश्रु तुम्हारे,
किसको क्या समझायेंगे? 
सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो, अब गोविंद ना आयेंगे |
अब समय आ गया है हिंदुस्तान का 
और हम सब का भविष्य बदलने का ....
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एक बार एक हंस और हंसिनी हरिद्वार के सुरम्य वातावरण से भटकते हुए उजड़े, वीरान और रेगिस्तान के इलाके में आ गये ! हंसिनी ने हंसको कहा कि ये किस उजड़े इलाके में आ गये हैं ? यहाँ न तो जल है,
न जंगल और न ही ठंडी हवाएं हैं ! यहाँ तो हमाराजीना मुश्किल हो जायेगा !
भटकते २ शाम हो गयी तो हंस ने हंसिनी से कहा कि किसी तरह आज कि रात बितालो, सुबह हम लोग हरिद्वार लौट चलेंगे !
रात हुई तो जि
स पेड़ के नीचे हंस और हंसिनी रुके थे उस पर एक उल्लू बैठा था। वह जोर २ से चिल्लाने लगा। हंसिनी ने हंस से कहा, अरे यहाँ तो रात में सो भी नहीं सकते। ये उल्लू चिल्ला रहा है।
हंस ने फिर हंसिनी को समझाया कि किसी तरह रात काट लो, मुझे अब समझ में आ गया है कि ये इलाका वीरान क्यूँ है ? ऐसे उल्लू जिस इलाके में रहेंगे वो तो वीरान और उजड़ा रहेगा ही।
पेड़ पर बैठा उल्लू दोनों कि बात सुन रहा
था।
सुबह हुई, उल्लू नीचे आया और उसने कहा कि हंस भाई मेरी वजह से आपको रात में तकलीफ हुई, मुझेमाफ़ करदो।
हंस ने कहा, कोई बात नही भैया, आपका धन्यवाद !
यह कहकर जैसे ही हंस अपनी हंसिनी को लेकर आगे बढ़ा, पीछे से उल्लू चिल्लाया, अरे हंस मेरी पत्नी को लेकर कहाँ जा रहे हो।
हंस चौंका, उसने कहा, आपकी पत्नी? अरे भाई, यह हंसिनी है, मेरी पत्नी है, मेरे साथ आई थी, मेरे साथ जा रही
है !
उल्लू ने कहा, खामोश रहो, ये मेरी पत्नी है। दोनों के बीच विवाद बढ़ गया। पूरे इलाके के लोग इक्कठा हो गये। कई गावों की जनता बैठी।
पंचायत बुलाई गयी। पंच लोग भी आ गये ! बोले, भाई किस बात का विवाद है ?
लोगों ने बताया कि उल्लू कह रहा है कि हंसिनी उसकी पत्नी है और हंस कह रहा है कि हंसिनी उसकी पत्नी है ! लम्बी बैठक और पंचायत के बाद पञ्च लोग किनारे हो गये और कहा कि भाई बात तो यह सही है कि हंसिनी हंस की ही पत्नी है, लेकिन ये हंस और हंसिनी तो अभी थोड़ी देर में इस गाँव से चले जायेंगे।
हमारे बीच में तो उल्लू को ही रहना है। इसलिए फैसला उल्लू के ही हक़ में ही सुनाना है ! फिर पंचों ने अपना फैसला सुनाया और कहा कि सारे तथ्यों और सबूतों कि जांच करने के बाद यह पंचायत इस नतीजे पर पहुंची है कि हंसिनी उल्लू की पत्नी है और हंस को तत्काल गाँव छोड़ने का हुक्म दिया जाता है ! यह सुनते ही हंस हैरान हो गया और रोने, चीखने और चिल्लाने लगा कि पंचायत ने गलत फैसला सुनाया।
उल्लू ने मेरी पत्नी ले ली ! रोते- चीखते जब वहआगे बढ़ने लगा तो उल्लू ने आवाज लगाई !
ऐ मित्र हंस, रुको ! हंस ने रोते हुए कहा कि भैया, अब क्या करोगे ? पत्नी तो तुमने ले ही ली, अब जान भी लोगे ? उल्लू ने कहा, नहीं मित्र,ये हंसिनी आपकी पत्नी थी, है और रहेगी !
लेकिन कल रात जब मैं चिल्ला रहा था तो आपने अपनी पत्नी से कहा था कि यह इलाका उजड़ा और वीरान इसलिए है क्योंकि यहाँ उल्लू रहता है !
मित्र, ये इलाका उजड़ा और वीरान इसलिए नहीं है कि यहाँ उल्लू रहता है ।
यह इलाका उजड़ा और वीरान इसलिए है क्योंकि यहाँ पर ऐसे पञ्च रहते हैं जो उल्लुओं के हक़ में फैसला सुनाते हैं !
शायद ६५ साल कि आजादी के बाद भी हमारे देश की दुर्दशा का मूल कारण यही है कि हमने हमेशा अपना फैसला उल्लुओं के ही पक्ष में सुनाया है।
इस देश क़ी बदहाली और दुर्दशा के लिए कहीं न कहीं हम भी जिम्मेदार हैं।
हर पढने वाला ध्यान से मनन करे क़ि इस बिगड़ी हुई व्यवस्था को सुधारने के लिए हम क्या कर सकते हैं?

Via- shankhnad

Thursday, December 27, 2012

क्यों किया सिंगापुर भेजने का फैसला, अब खुली असल वजह

गैंगरेप की शिकार हुई पैरामेडिकल छात्रा को मंगलवार रात आए हार्ट अटैक के बाद उसका इलाज कर रहे डॉक्टरों की टीम घबरा गई थी।
इस वजह से तुरंत राजधानी के शीर्ष डॉक्टरों को बुलाया गया। इनमें मेदांता अस्पताल के डॉ. नरेश त्रेहन भी शामिल थे। लेकिन सभी डॉक्टरों ने पीडि़ता की हालत देखने के बाद मशविरा दिया कि उसके सर्वाइवल के लिए जरूरी है कि उसे तुरंत मल्टी ऑर्गन ट्रांसप्लांट की सुविधा देने वाले अस्पताल में शिफ्ट किया जाए।

देश में किसी भी अस्पताल में ऐसी सुविधा उपलब्ध नहीं होने के चलते यह फैसला किया गया कि उसे सिंगापुर शिफ्ट किया जाए, जो सबसे नजदीक है और कम से कम समय में पहुंचा जा सकता है। पीडि़ता को लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखकर सिंगापुर शिफ्ट किया गया।

सफदरजंग अस्पताल में पीडि़ता का इलाज कर रहे डॉक्टरों का कहना है कि उसे सेप्सिस हो गया था, संक्रमण पूरे शरीर में फैल चुका था, प्लेटलेट्स नहीं बन रहे थे और डब्ल्यूबीसी लगातार घट-बढ़ रहे थे।

इसके बाद दिल का दौरा पडऩे पर डॉक्टरों को यह समझ में नहीं आ रहा था कि इस स्थिति से कैसे निपटा जाए। उधर, सिंगापुर से अस्पताल के प्रवक्ता ने बताया है कि पीडि़ता की हालत क्रिटिकल बनी हुई है हालांकि वहां उसका इलाज शुरू हो गया है।

http://www.bhaskar.com/article/DEL-doctors-decided-to-send-gang-rape-victim-to-singapore-after-heart-attack-4128553-PHO.html?SBD=